पितृदोष क्या होता है
पितृदोष क्या है धार्मिक द्रष्टि से इसका संबंध हमारे पितरों से होता है. मान्यता है कि यदि किसी के पूर्वजों ने अनैतिक रूप से धन एकत्रित किया है या फिर अशुभ कार्य किए हैं तो उसका बुरा प्रभाव आने वाली पीढ़ी को भोगना पड़ता है. कुछ ऐसे ही यदि कोई व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त किए जाने वाले कर्म को नहीं करता है या फिर अपने पितरों को कोसता रहता है तो पितर उससे नाराज होकर उसे दु:ख का श्राप देते हैं. वहीं जो लोग अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए विधि-विधान से श्राद्ध, तर्पण कर्म आदि उपाय करते रहते हैं, उनके पितर उनसे प्रसन्न एवं तृप्त होकर उनको सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. आइए पितृदोष क्या है तथा पितृदोष दूर करने के सरल एवं प्रभावी उपाय के बारे में जानते हैं.
पितृदोष से होने वाली हानि
पितृ दोष योग जिसका सीधा मतलब यह है कि आपकी तीन पीढीयों में अर्थात पिता दादा परदादा तीनों में से किसी ने दो शादी की है। इस कारण आपको अपने किये गयें किसी भी वादें में हार का सामना या जिसमें आपके मान को हानि पहुचे वो कभी भी नही होगा । आपके द्वारा किया गया हर वादा अन्तिम क्षणों में हर हाल में पूरा हो जावेगा तथा आपका मान भंग नही होगा। यही आपकी जिन्दगी में चल रहा है । आप जब अकेले होंगे तो किसी को आप अपने पास महसूस करेंगें। इसमें आपकों खुद के निजि अंगों में भी कुछ महसूस होगा। इसका मतलब है कि आपका जन्म तीन पीढी के बाद पुनः इसी परिवार में हुआ है। इस कारण पितृ का मोक्ष आपसे ही होना है चाहे अभी कर लेवे या फिर काफी परेशानी के बाद ये विचार आपको करना है। अगर कोई आपको नुकसान पहुॅचाना चाहेगा तो उसका ही बुरा होगा । यह शक्ति आपको बचाने में सारी ताकत खो देती है जबकी आपकी काफी उन्नती यह कर सकती है । इस कारण आपको बचत नही होती है।
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पितरों की मुक्ति के लिए क्या करना चाहिए?
पितृ दोष निवारण मंत्र
आपको भागवत के 5 पारायण करने पडेंगे इसके बाद इनको सभी प्रकार के लाभ मिलेंगे । शुक्रवार रात्राी 9-15 बजे इसे चालू करे शुक्ल पक्ष अगर होता है तो ज्यादा अच्छा होगा । पीले कपडे को चैकी पर बिछाकर उस पर राधा कृष्ण एवं गाय जिस फोटो में हो उसके सामने सफेद मिठाई का भोग लगावें जिसे घर के लोग ही खावेे दूसरी ओर फल का भोग लगावे जिसे बच्चों को बाॅंट देवे तथा फल की पुनरावृति तुरन्त ना होवे ऐसा ध्यान रखे । इस भागवत को 15 दिन, एक मास, तीन मास, छः मास में एक बार पूरी करने का प्रयास करे। एैसा कमसे कम पाॅच बार करना है इसलिए 2 घन्टे सुबह और 2 शाम को करने से 15 दिन में पूरी हो जावेगी। जितना जल्दी करेगें उतना ही जल्दी फायदा होगा। इसके लिए जब भी आप पूजा में बैठेंगे जब मन में संकल्प करना होगा कि मेरे द्वारा किये गये इस पूजा का फल मेंरे पितरों को मोक्ष करवाने में मिले। यही आप पूजा शुरू करते हुए तथा प्रतिदिन के विश्राम के वक्त बोलना पडेगा ।
भागवत करने के तरीके इस अनुसार है
15 दिन का विश्राम निम्नानुसार होते है जो आपकी सुविधा के लिए आपको बताये जा रहे है।
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दिन शुरू दिन की समाप्ति अध्याय स्कन्ध अध्याय कुलअध्याय
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1 1 1 2 2 21
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2 2 3 3 15 23
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3 3 16 4 4 22
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4 4 5 4 27 23
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5 4 28 5 18 22
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6 5 19 6 15 23
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7 6 16 8 5 24
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8 8 6 9 6 25
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9 9 4 10 4 22
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10 10 5 10 26 22
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11 10 27 10 49 23
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12 10 50 10 70 21
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13 10 71 11 2 22
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14 11 3 11 25 23
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15 11 26 12 13(यह समाप्ती है) 19
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नोट- पितृदोष क्या है यह आपको पता चल गया है इस विधि को सही ढंग से सम्पूर्ण तरीके से करें अन्यथा आपको लाभ नहीं मिलेगा