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श्री शिव रुद्राष्टक स्त्रोत्र क्यों किया जाता है और इसके पीछे की कथा

Archit Sharma by Archit Sharma
January 19, 2021
in Stories
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Shiva Rudrashtakam Stotra kyu kiya jata hai janiye isse judi katha jiske karan ise padha jata hai | भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति व स्त्रोत की रचना की गई है। इनके जप व गान करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। “श्री शिव रुद्राष्टक स्त्रोत्र” – Shiva Rudrashtakam भी इन्हीं में से एक है। यदि प्रतिदिन शिव रुद्राष्टक का पाठ किया जाए तो सभी प्रकार की समस्याओं का निदान स्वत: ही हो जाता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि, श्रावण अथवा चतुर्दशी तिथि को इसका जप किया जाए तो विशेष फल मिलता है।

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Shiva Rudrashtakam Stotra Kyu Kiya Jata Hai Jane Katha

शिव रुद्राष्टकम को आप यंहा से डाउनलोड भी कर सकते है | यंहा से डाउनलोड कीजिये

इसके उपरांत कागभुशुण्डि एक बार एक महायज्ञ का आयोजन कर रहे थे। उन्होंने अपने यज्ञ की सुचना अपने गुरू को नहीं दी। फिर भी सरल हृदय गुरू अपने भक्त के यग्य में समलित होने को पहुँच गए।

शिव पुजन में बैठे कागभुशुण्डि ने गुरू को आया देखा। किन्तु कागभुशुंडी अपने आसन से न उठे, न उनका कोई स्तकार ही किया। सरल हृदय गुरू ने एक बार फिर इसका बुरा नहीं माना।

पर महादेव तो महादेव ही हैं। वो अनाचार क्यों सहन करने लगे ??

भविष्यवाणी हुई – अरे मुर्ख, अभिमानी ! तेरे सत्यज्ञानी गुरू ने सरता वस तुझपर क्रोध नहीं किया। लेकिन, मैं तुझे श्राप दुंगा। क्योंकि नीति का विरोध मुझे नहीं भाता। यदि तुझे दण्ड ना मिला तो वेद मार्ग भ्रष्ट हो जाएंगे।

जो गुरू से ईर्ष्या करते हैं वो नर्क के भागी होते हैं। तू गुरू के समुख भी अजगर की भांति ही बैठा रहा। अत: अधोगति को पाकर अजगर बनजा तथा किसी वृक्ष की कोटर में ही रहना।

इस प्रचंण श्राप से दुःखी हो तथा अपने शिष्य के लिए क्षमा दान पाने की अपेक्षा से, शिव को प्रसन्न करने हेतु; गुरू ने प्रार्थना की तथा रूद्राष्टक की वाचना की तथा आशुतोष भगवान को प्रसन्न किया।

यह भी पढ़े : श्रीगोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम् फ्री डाउनलोड करे PDF

कथासार में शिव अनाचारी को क्षमा नहीं करते; यद्यपि वो उनका परम भक्त ही क्यूँ ना हो।

परम शिव भक्त कागभुशुण्डि ने जब अपने गुरू की अवहेलना की तो; वे भगवान शिव के क्रोध-भाजन हुए। अपने शिष्य के लिए क्षमादान की अपेक्षा रखने वाले सहृदय गुरू ने रूद्राष्टक की रचना की तथा महादेव को प्रसन्न किया।

गुरु के तप व शिव भक्ति के प्रभाव से यह शिव स्तुति बड़ी ही शुभ व मंगलकारी शक्तियों से सराबोर मानी जाती है। साथ ही मन से सारी परेशानियों की वजह अहंकार को दूर कर विनम्र बनाती है।

शिव की इस स्तुति से भी भक्त का मन भक्ति के भाव और आनंद में इस तरह उतर जाता है कि; हर रोज व्यावहारिक जीवन में मिली नकारात्मक ऊर्जा, तनाव, द्वेष, ईर्ष्या और अहं को दूर कर देता है।

यह स्तुति सरल, सरस और भक्तिमय होने से शिव व शिव भक्तों को बहुत प्रिय भी है। धार्मिक नजरिए से शिव पूजन के बाद इस स्तुति के पाठ से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

Shiva Rudrashtakam से जुड़ा हुई सम्पुर्ण कथा रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में वर्णित है।

Tags: kathaShiva Rudrashtakam
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Archit Sharma

Archit Sharma

मुझे ब्लॉग लिखना बहुत ही ज्यादा पसंद है | मेरा मकसद है की ज्योतिष प्रदीप के सभी पाठको को सही जानकारी प्रदान की जाये और उनकी सुविधा के लिए सभी जकरियो को डिजिटल किया जा सके | यदि आपको कोई समस्या या सुझाव देना हो तो आप हमे कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से दे सकते है |

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