कुल देवी को कैसे मनाये और संकटों से मुक्ति पाएं
आपकी जन्म पत्रिका में एक योग ऐसा है जो आपको जीवन सट्टे की तरह जीने के लिए मजबूर करता है। इस करण आपके पास कभी बहुत सारा धन होता है और कभी बिल्कुल भी नहीं होता है। इसे ज्योतिष की भाषा में कुलदेवी दोष कहते है। तथा कुलदेवी लिस्ट को भी जाने
इसके लिए आपको दुर्गा बीसा यन्त्र की मंगलवार शाम से पूजा शुरू करके अगले दिन प्रातः काल से लगातार करनी है। पूजा में स्नान, वस्त्र(मोली), तिलक(रोली), धूप, दीप, नेवैध्य(गुड मूगॅं की दाल जितना)दक्षिणा सहित करे । दक्षिणा को एक डिब्बे में इक्कठ्ठा रखे तथा 10 से 15 दिन इक्कठ्ठा करके कुछ पैसे हनुमान मन्दिर में चढा देवे।
कुल देवी को कैसे मनाये यहाँ है तरीका
विशेष: डिब्बा कभी भी खाली व एक्सचेंज ना करें वरना किया कराया समाप्त हो जावेगा।
शुक्ल पक्ष की अष्टमी का पति व पत्नि मिलकर व्रत करे तथा उस दिन पत्नि से एक सुहाग सामग्री ब्राहमण को दान करावे।कुल 16 सुहाग सामग्री दान करनी हैं कुल देवी के माह में या तीन माह में एक बार अवश्य जावे।
आपको प्राप्त होनेवाले धन में से कुछ हिस्सा अपनी कुलदेवी के नाम करना होगा और इसे कुलदेवी के मन्दिर में या उसके नाम से अपने घर में खर्च करना होगा। एक नीयत हिस्सा बना कर दान करते रहने से इस प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जावेगी। साथ ही वर्ष में 3 या 4 बार कुलदेवी के दर्शन अवश्य करे।
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भारत में कई समाज या जाति कुलदेवी और देवता हैं। इसके अलावा, पित्रदेव भी है। भारतीय लोग हजारों वर्षों से अपने कुलदेवी और देवता की पूजा कर रहे हैं। कुलदेवी और देवता की पूजा करने के पीछे एक गहरा रहस्य है, जो बहुत कम लोगों को पता होगा। आइए जानते हैं कि सभी के कुलदेवी-देवता अलग-अलग क्यों हैं और उन्हें पूजा करने की आवश्यकता क्यों है?
मांगलिक में जन्म, विवाह आदि की तरह काम करता है, वे कुलदेवी या देवताओं के स्थान पर जाकर या उनके नाम पर प्रशंसा की जाती हैं। इसके अलावा, एक ऐसा दिन होता है जब संबंधित परिवार के लोग अपनी देवी और देवता के स्थान पर इकट्ठा होते हैं। जो लोग अपने कुलदेवी और देवता के बारे में नहीं जानते हैं या जो भूल गए हैं, उन्हें अपनी शाखाओं और जड़ों से काट दिया गया है।