Ramayan: वाल्मीकि जी के द्वारा रचित रामायण भगवान श्री राम के चरित्र को दर्शाता है| भगवान श्री राम की पूरी जीवन कथा इस महाकाव्य में संकलित है| रामायण के द्वारा हमें श्री राम का चरित्र तथा उनके के कार्यों का पता चलता है वाल्मीकि जी के द्वारा रचित रामायण का मूल उद्देश्य था श्रीराम के जैसा सत्य एक कर्तव्यवान जीवन लोगों के सामने प्रस्तुत करना|
वाल्मीकि जी के द्वारा लिखे गए रामायण मात्र संस्कृत भाषा में थी,समय के अनुसार लोग संस्कृत भाषा को छोड़कर हिंदी में आने पढ़ने लगे तब गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना की यह रामायण का हिंदी में अवधी भाषा में अनुवाद था तुलसीदास जी ने इसकी रचना करके आने वाले समय में लोगों के लिए रामायण पढ़ना आसान बना दिया ताकि सभी लोग रामायण में भगवान श्री राम के चरित्र को जान सके|
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Ramayan
रामायण भगवान श्रीराम के चरित्र का एक संपूर्ण तथा सटीक वर्णन करने वाला ग्रंथ है जिसमें भगवान श्री राम के जन्म से लेकर परमधाम जाने तक की सभी गाता है वर्णित है| श्री हरि विष्णु के 10 अवतार माने जाने वाले भगवान श्रीराम ने अपने पिता के दिए गए वचन के लिए 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया तथा अपना राज्य अपने छोटे भाई भरत को देकर वन की ओर प्रस्थान किया परंतु कहते हैं कि राजा की कोई सीमा नहीं होती उसी प्रकार श्रीराम ने वन में जाकर धर्म की रक्षा के लिए राक्षसों का वध करना शुरू किया|
राम शब्द शांति का प्रतीक है| श्रीराम ने अपने पूरे जीवन में यह संदेश दिया है कि व्यक्ति को समुद्र की तरह शांत होना चाहिए परंतु अपने हक के लिए उसे ज्वालामुखी जैसे क्रोधित भी होना चाहिए| इन सभी का उदाहरण श्रीराम ने सभी के सामने प्रस्तुत किया|
जब शिव धनुष खंडित हुआ तब भगवान परशुराम क्रोधित होकर उस व्यक्ति का वध करने आए जिसने वह धनुष खंडित किया परंतु जिस प्रकार वे क्रोधित थे, श्री राम ने उन्हें अपने मीठे शब्दों से शांत कर दिया तथा यह संदेश दिया कि सामने वाला कितना भी क्रोधित हो हमें शांत स्वभाव से उस परिस्थिति को सुलझाना चाहिए|
वही जब मां सीता का हरण रावण ने किया सब समुद्र के रास्ता ना देने पर भगवान राम ने पहले प्रार्थना की परंतु जब प्रार्थना से काम नहीं चला तब उन्होंने अपना क्रोध भी दिखाया और अपने धनुष पर बाण चढ़ाया और समुद्र सुखाने को तैयार हो गए तब उनका क्रोध देखकर समुद्र देव ने उन्हें समाधान दिया|
रामायण में हमें एक बहुत ही सुंदर कथन मिलता है जहां रावण वध के बाद जब वह दर्द और पीड़ा मैं तड़प रहा था तब श्री राम – लक्ष्मण जी से कहते हैं की जाओ और रावण से ज्ञान की प्राप्ति करो| वे जाकर रावण के सिर की तरफ बैठ जाते हैं| रावण उन्हें यह बोलता है, कि अगर तुम्हें किसी से ज्ञान लेना हो तो उसके सर की तरफ नहीं उसके पैरों की तरफ बैठना चाहिए|
रावण अपने समय का सबसे बड़ा पंडित माना जाता था |परंतु उसे किस बात का घमंड था उससे बुद्धिमान कोई नहीं परंतु जब उसकी मृत्यु आई तब उसे यह अहसास हुआ कि श्री राम से बड़ा कुछ नहीं उसने अपने अंतिम समय में राम नाम का जाप करते हुए अपने प्राण त्याग दिया|
रामायण में भगवान और भक्त दोनों के बीच अटूट प्रेम को दिखाया गया है| एक भक्त अपने भगवान के लिए पहाड़ तक उठा जाता है, किस तरह एक भक्त अपने भगवान के लिए 100 योजन समुद्र पार कर जाता है, किस प्रकार एक भक्त अपने भगवान के लिए अपना सीना चीर लेता है, यह भक्त और भगवान का अटूट प्रेम वाल्मीकि जी ने बेहद खूबसूरत रूप में प्रस्तुत किया है|
श्री राम और हनुमान जी के अटूट भक्ति भाव एवं प्रेम को प्रस्तुत किया है|हनुमान जी आज की अपने ही भगवान के दिए आदेश के अनुसार प्रतीक्षा कर रहे हैं, कि भगवान श्री राम कल के रूप में अवतरित होकर उन्हें दर्शन देंगे|
ऐसे ही कुछ बेहद रोचक कथा सुनने व पढने को मिलते है|
हम आशा करते हैं कि आपको श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त हो यह आपके जीवन में सुख – समृद्धि बनी रहे|
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