Durga Chalisa PDF in Hindi: मां दुर्गा को आदि शक्ति माना जाता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। साथ ही शत्रुओं से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित होती है। तो आइये आज हमारे साथ दुर्गा चालीसा को पढ़े और श्री दुर्गा चालीसा को फ्री में डाउनलोड करे और पाइए जीवन में सुख और शान्ति माँ दुर्गा के आशीर्वाद से जय दुर्गा माँ
Durga Chalisa PDF in Hindi Free Download
Durga Chalisa यहाँ से आरम्भ है
॥दोहा॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
चौपाई
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥ 1 ||
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥ 2 ||
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ 3 ||
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥ 4 ||
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥ 5 ||
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥ 6 ||
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ 7 ||
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥ 8 ||
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥ 9 ||
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥ 10 ||
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १1 ||
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥ 12 ||
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥ 13 ||
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥ 14 ||
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १5 ||
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥ 16 ||
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥ 17 ||
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥ 18 ||
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ 19 ||
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥ 20 ||
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥ 21 ||
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥ 22 ||
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २3 ||
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥ 24 ||
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥ 25 ||
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥ 26 ||
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २7 ||
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥ 28 ||
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥ 29 ||
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥ 30 ||
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३1 ||
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥ 32 ||
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥ 33 ||
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥ 34 ||
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३5 ||
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥ 36 ||
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥ 37 ||
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥ 38 ||
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ 39 ||
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥ 40 ||
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥
॥दोहा॥
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Durga Chalisa FAQ: दुर्गा चालीसा पढने के लाभ और इससे हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
दुर्गा चालीसा रोज पाठ करने के लाभ?
दुर्गा चालीसा का पाठ करके आप अपने परिवार को आर्थिक नुकसान, संकट और विभिन्न प्रकार के दुखों से बचा सकते हैं। 9 दिनों तक इसके नियमित पाठ से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करती हैं।
दुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए और आप शाम को दुर्गा चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। लेकिन अगर आप नवरात्रि में इसका पाठ करना शुरू कर दें तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा।
Durga Chalisa से आपके जीवन में सभी कष्ट और पीड़ा दूर होगी आशा करते है आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा इसे अपने दोस्तों और परिवार वालों को भी दे जिससे उन्हें भी इसका लाभ मिले