Saturday, April 27, 2024
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Bhagwat Geeta In Hindi PDF| Bhagwat Geeta 100% Free Download

Bhagwat Geeta: महाभारत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध भूमि  में  उद्देश्य दिए थे| जब अर्जुन युद्ध भूमि  में था, तब सामने अपने ही परिवार जनों को देखकर उसे ऐसा लगा कि जिसने मुझे ज्ञान दिया, जिसने मुझे अपनी गोद में बैठा कर खिलाया,  मेरे सामने मेरे भाई है, तों  इन सब पर किस प्रकार से बाण चला सकता हु| तब श्री कृष्ण ने रथ युद्ध भूमि के बीच ले  जाकर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया|

हमारी सनातन संस्कृति मैं अनेक ग्रंथ-महाग्रंथ, वेद-पुराण इन सभी का वर्णन मिलता है| इन सभी में सबसे पवित्र तथा सबसे ज्ञानरूपी श्रीमद भागवत गीता को माना जाता है| श्रीमद भागवत गीता का उद्देश्य श्रीकृष्ण ने स्वयं दिया था| एक व्यक्ति को जो भी परेशानी या जो भी सवाल मन में आता है| उन सभी परेशानियों उन सभी सवाल के जवाब श्री कृष्ण ने श्रीमद भागवत गीता के द्वारा पहले ही दे दिए हैं|

श्रीमद भागवत गीता मैं श्री कृष्ण ने अनेक उपदेश दिए परंतु धर्म और अधर्म के बीच में ना पढ़कर अपने कर्तव्य पथ पर चलने का सुझाव दिया है| श्री कृष्ण को ज्ञान का भंडार कहा जाता था वह ज्ञान उन्होंने गीता के रूप में अर्जुन को सुनाया तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत से सवालों का जवाब तथा परेशानियों का हल दिया|

Bhagwat Geeta PDF Free Download In Hindi

संपूर्ण श्रीमद भागवत गीता हिंदी में डाउनलोड करें|

Bhagwat Geeta PDF Free Download

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

श्रीमद भागवत गीता (Bhagwat Geeta) मैं श्री कृष्ण कुछ श्लोक कहे हैं |

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।”

इस श्लोक के माध्यम से श्री कृष्ण कहना चाहते हैं “जब-जब इस संसार मैं धर्म की हानि होगी और जब अधर्म – धर्म पर हावी होगा, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर अवतार लूंगा तथा धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाऊंगा”|

“परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।”

इस श्लोक के माध्यम से श्री कृष्ण कहना चाहते हैं “साधुओं और सज्जनों की रक्षा के लिए तथा इस संसार में पाप तथा अधर्म को नष्ट करने के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए हर युग में बार-बार अवतार लेता रहूंगा|

यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक की व्याख्या (Yada Yada hi Dharmasya Bhagwat Geeta)

श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में कहे गए सभी श्लोकों को अपने मुख से सुनाया है। इस श्रीमद्भागवत गीता के चौथे अध्याय के सातवें श्लोक में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि-

जब भी संसार में पाप और अधर्म बढ़ने लगते हैं। लोग अन्याय और गलत कामों में लिप्त हो जाते हैं और धर्म का विनाश शुरू हो जाता है, फिर भगवान और धर्म (अच्छे कर्म) समाप्त होने लगते हैं। तब मैं इस दुनिया में अधर्म को रोकने और धर्म को फिर से बढ़ाने के लिए पृथ्वी पर अवतार लेता हूं।

पृथ्वी पर सज्जनों के समान व्यवहार करने वाले सभी लोगों की सुरक्षा के लिए और दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए, मैं हर युग में अवतार लेता हूं और लोक कल्याणकारी धर्म की स्थापना करता हूं।

भगवद्गीता के आठवें श्लोक में, भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि ऐसे समय में, मैं दुष्टों से ईश्वर में विश्वास रखने वाले सज्जनों की रक्षा करता हूं और पापियों, अधर्मियों और दुष्टों को जो पृथ्वी पर उपलब्ध हैं, उनका वध करता हूं। हर अवधि। मैं हर युग में अवतार लेता हूं।

जब भी धर्म की हानि होती है तो मैं उसकी रक्षा करता हूं और लोगों के धर्म के प्रति अविश्वास को दूर करता हूं। मैं अपनी शिक्षाओं के माध्यम से लोगों में धर्म के प्रति आस्था जगाकर लोगों के दिल-दिमाग में धर्म के प्रति आस्था स्थापित करता हूं।

Bhagwat Geeta In Hindi PDF Download

हम आशा करते हैं कि श्रीमद्भागवत गीता पढ़कर आपके सभी सवालों तथा कष्टों का निवारण हो|

Bhagwat Geeta: हम आपके लिए ऐसे रोचक लेख लेकर आते रहेंगे हम से जुड़े रहने 

 

 

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