श्री हनुमान अष्टकम जो कि सभी बाधाओं और क्लेशों को दूर करता है

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संकट मोचक हनुमान अष्टकम फ्री डाउनलोड करे PDF

Free Download Sankat Mochak Hanuman Ashtak 

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नुमान अष्टकम – हिंदू धर्म में हनुमान जी का विशेष महत्व है। हनुमान जी को देवताओं का भी संकट मोचक माना गया है । हिंदू मान्यता के अनुसार हनुमान जी की उपासना करने से भयंकर संकट दुख और तकलीफ है तो आसानी से दूर की जा सकती है ऐसा कहते हैं कि बाल्यावस्था में ही श्री हनुमान जी ने सूर्य देवता जी को फल समझकर निगल लिया था फिर देवताओं ने जैसे-तैसे उनसे प्रार्थना करके उनसे सूर्य को छुड़ाने के लिए आग्रह किया था। हनुमान जी को तीनों त्रिकाल स्वामियों से वरदान प्राप्त है अर्थात त्रिदेव जो कि ब्रह्मा विष्णु और महेश है हनुमान जी पवन देवता एवं अंजनी के पुत्र थे बचपन में इन्होंने अपनी शक्तियों से सभी लोगों को परेशान कर दिया था । उस वक्त इनकी शक्तियों का दुरुपयोग हो इस डर से इन पर अंकुश लगा दिया गया था परंतु इन्हें श्राप दिया गया था कि जब तक हनुमान जी को उनकी शक्ति याद नहीं दिलाई जाएगी तब तक उन्हें उसका भार नहीं होगा इसी कारण जब वह सीता माता को खोजने के लिए भगवान राम के साथ लगे हुए थे तब जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाई थी । जिसके बाद वह समंदर के पार जा सके और सीता मैया की खबर ला सकें श्री हनुमान जी भगवान शिव का अवतार होने के कारण कल्याणकारी शक्तियों के साथ जन्म लिया था और उन सभी शक्तियों के स्वामी भी हैं यही एक और कारण है कि उनका स्मरण या भक्ति करने से बुरी वृतियां और विचार गलत कर्म करने और उनसे दूर रहने की शक्ति मिलती है और अच्छी बुद्धि चेष्टा प्राप्त होती है जिसे हर भक्त के जीवन में सुख शांति भी अपने आप आ जाती हैं ।

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संकट मोचक हनुमान अष्टक यंहा से डाउनलोड कीजिये


बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों I
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो I
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो I को – १

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो I
चौंकि महामुनि साप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो I
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो I को – २

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I को – ३

रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षसी सों कही सोक निवारो I
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मरो I
चाहत सीय असोक सों आगि सु ,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को – ४

बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सूत रावन मारो I
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I
आनि सजीवन हाथ दिए तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो I को – ५

रावन जुध अजान कियो तब ,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो I
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो I को – ६

बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो I
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को – ७

काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो I
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो I को – ८

दोहा – लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II


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