Why Shri Krishna is a complete Man: श्री हरि विष्णु के 24 अवतारों में से श्रीकृष्ण को 22 वा अवतार माना जाता है, तथा 10 अवतारों के क्रम में श्रीकृष्ण को 8 अवतार माना जाता है| श्री कृष्ण के लिए कहा जाता है कि वह 16 कलाओं में निपुण थे इसी कारण से श्री कृष्ण को भगवान जगन्नाथ तथा जगतगुरु भी कहा जाता है|
श्री कृष्ण (Shri Krishna) के लिए कहावत बड़ी प्रसिद्ध है कहते हैं “जिसने बचपन जिया तो ऐसा जिया कि आज हर मां अपने बेटे को प्यार से कान्हा कहती है, जिसने जवानी जी तो ऐसी जी की आज गली के लड़कों को कहा जाता है कि बड़ा कन्हैया बना फिरता है, तथा जिसने युद्ध कराया तो ऐसा कर आया कि पांच बेसहारा और घर से निकाले बच्चों को इस संसार की सबसे बड़ी सेना नारायणी सेना के सामने विजय दिलाई”|
संपूर्ण पुरुष: एक व्यक्ति किसी विषय में खास हो सकता है, जैसे एक अच्छा भाई, पिता, पति, मित्र आदि, बाहरी दुनिया में देखा जाए तो वह एक अच्छा खिलाड़ी, बिजनेसमैन, चित्रकार, पत्रकार आदि हो सकता है| परंतु अगर हम किसी से यह आशा करते हैं कि वह इन सभी में नीपूर्ण हो तो ऐसा होना नामुमकिन है| क्योंकि एक व्यक्ति किसी एक विषय में अच्छा हो सकता है सभी में नहीं, परंतु श्री कृष्ण इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो किसी एक विषय में निपुण ना होकर सभी विषयों में निपुण थे| तो आइए आज हम आपको उन्हीं विषयों के बारे में विस्तार पूर्वक बताएं|
श्रेष्ठ मित्र (Shri Krishna As A Good friend): श्री कृष्ण निसंदेह है एक श्रेष्ठ मित्र थे उनकी मित्रता की कथाएं हमें अनेकों बार सुनने को मिलती है जैसे श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को अपना पूरा राज्य दे दिया था तथा तीनों लोगों का राज्य देने को तैयार थे वह भी सिर्फ अपने मित्र और अपनी मित्रता के लिए|
श्री कृष्ण और अर्जुन के मित्रता के बारे में तो पूरा संसार जानता है| श्री कृष्ण ने सदैव अर्जुन का साथ देते हुए उन्हें युद्ध में विजई बनाया तथा जब अर्जुन को अपने श्रेष्ठ धनुर्धर होने का घमंड हुआ तो श्रीकृष्ण ने वह घमंड भी तोड़ दिया|
सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र को गलत रास्ते चलते देख अपनी मित्रता की चिंता करें बिना अपने मित्र को सही रास्ते पर लेकरें आए|
श्रेष्ठ प्रेमी (Shri Krishna as a Lover): श्री कृष्ण की रासलीलाओं के बारे में सभी जानते हैं| श्री कृष्ण अनेक गोपियों के साथ रास रचाए हैं तथा उनकी अनेक पत्नियां थी परंतु वे श्री कृष्ण के प्रेम में इस प्रकार डूबी थी एक दूसरे से कभी कोई ईर्ष्या या गिलानी नहीं होती थी वे सभी एक दूसरे का पूर्ण सम्मान करते हुए श्री कृष्ण के प्रेम में डूबी रहती थी|
श्रेष्ठ पति (Shri Krishna as a Husband): श्री कृष्ण की अनेकों पत्नियां थी परंतु उनमें से 8 पत्नियों के नाम मुख्यतः लिए जाते हैं- रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी।जहां हमें एक तरफ देखने को मिलता है कि श्री कृष्ण का रुक्मिणी से संबंध बेहद घनिष्ठ था परंतु उन्होंने सभी पत्नियों को समान अधिकार दिए और उन सभी की भावनाओं का आदर किया|
श्रेष्ठ भाई व श्रेष्ठ पुत्र (Shri Krishna as a Brother And Son) : श्री कृष्ण श्रेष्ठ भाई होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ पुत्र भी थे जहां उन्होंने एक तरफ अपने भाई बलराम की आज्ञा का पालन हमेशा किया वही उन्होंने अपने नंद और यशोदा की झोली खुशियों से भर दे तथा अपने असली माता पिता वसुदेव और देवकी को जेल से आजाद करके कंस को युद्ध में हराया|
श्री कृष्ण का पालन पोषण नंद और यशोदा दोनों ने किया था परंतु श्री कृष्ण के असली माता पिता देवकी और वासुदेव जी थे| श्री कृष्ण के लिए कहा जाता है की उन्होंने सौतेले व सगे माता-पिता से बराबरी का रिश्ता रखा क्योंकि कहा जाता है “पैदा करने वाले से पालने वाला बड़ा होता है”|
श्री कृष्ण के अनेक लीलाएं तथा उनके अनेक गुण है सभी का वर्णन करना मुमकिन नहीं परंतु उनमें से कुछ विषयों का वर्णन हमने हमारे इस लेख के द्वारा किया है| श्री कृष्ण के बारे में हमारे और भी लेकर आने वाले हैं उन लेखों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें|
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