Tuesday, April 30, 2024
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Shani Chalisa PDF In Hindi | Shri Shani Chalisa Free Download

Shani Chalisa In Hindi: जैसा कि हम सभी जानते हैं, कि शनि भगवान हमारे जीवन में ग्रहों के साथ में एक बहुत बड़ी भूमिका अदा करते हैं, तो आज का हमारा जो विषय है वह है| शनि चालीसा और उसके फायदे शनि चालीसा पढ़ने से हमारे जीवन में जो शनि का प्रकोप रहता है वह कम हो जाता है, और शनि भगवान हम पर अपनी कृपा बरसाते हैं| तो आइए हम शनि चालीसा के बारे में विस्तार से जानते हैं|

 

Shani Chalisa PDF Free Download in Hindi

शनि चालीसा करे डाउनलोड बिल्कुल फ्री वो बी हिंदी में 

Shani Chalisa PDF Free Download

|| भगवान शनि आपको आपके सभी कष्टों से दूर रखें ||

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज

जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।

तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

|| जय शनि ||

शनि चालीसा को पढ़ने से क्या लाभ होता है| (Benefits of Reading Shani Chalisa)

जैसा कि हम सभी जानते हैं भगवान शनि भगवान सूर्य देव के बड़े पुत्र हैं| भगवान शनि जीवित लोगों का न्याय करते हैं| भगवान शनि की पूजा नियमित करने से भगवान अपने साढ़ेसाती और ढाई साल के प्रचंड प्रकोप से आपको दूर रखते हैं, एव आपके कष्टों का निवारण करते हैं|

शनि चालीसा करने की विधि क्या है|(Shani Chalisa Reading Guide)

भगवान शनि की मूर्ति के ऊपर शनिवार के दिन तेल चढ़ा कर शनि मंदिर में एक  शांत स्थान पर बैठकर शांत मन से भगवान का ध्यान करते हुए शनि चालीसा के पाठ आरंभ करें| शनि चालीसा का पाठ प्रतिदिन भी कर सकते हैं वह भी आपको  बहुत लाभदाई होगा| परंतु इसका महत्व शनिवार के दिन ज्यादा रहता है|

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